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एयो तिक्खिट
तेरे नालों चली ये हसीन कोई ना
तारे चाने अंबर जमीन कोई ना
मैं जदो तेरे मुड़े उठे सिर रखेया
इतनों सची समावी हसीन कोई ना
एयो तिक्खिट
तेरे नालों चली ये हसीन कोई ना
तारे चाने अंबर जमीन कोई ना
मैं जदो तेरे मुड़े उठे सिर रखेया
इतनों सची समावी हसीन कोई ना